
राजस्थान….….
एक बड़ा सा पैलेस उसे बनाने के लिए कई सारे महंगे पत्थरों और मार्बल का उपयोग किया गया था । वो किसी स्वर्ण पैलेस से कम नहीं था। उस पैलेस की डिजाइन और बारी से की गई कारीगरी से ही पता चल रहा था । की उस पैलेस को बनाने में कितनी मेहनत लगी होगी ।और ना जाने कितना पैसा खर्च किया होगा । उस पैलेस के बड़े से गेट पर सुनहरे अक्षरों में लिखा था ।राजपूत हवेली……
जो राजस्थान का सबसे बड़ा और भव्य महल था । जिसे कई सारे लॉग मिलकर किसी नई नवेली दुल्हन की तरह सजा रहे थे । और सजाते भी क्यों नहीं ……
उस राजपूत हवेली में रहने वाले राजस्थान के सबसे बड़े और अमीर बिजनेसमेन अमरजीत राजपुत और उसकी धर्म पत्नी गौरी राजपूत का एक लौटे बेटे की करीब 7 दिन बाद शादी जो थी ।जो फिल हाल इटली में अपनी बिजनेस मैनेजमेंट की पढ़ाई पूरी कर रहा था और इस साल उसने अपनी ग्रेजुएशन कंप्लीट कर चुका था । हवेली इतनी बड़ी थी कि उसे सजाने के लिए 15 दिन भी कम थे ।इसी लिए डेकोरेशन वालों ने 15 दिन पहले ही सजावट की तैयारी शुरू कर दी थी ।
वही हवेली के बड़े से हॉल में लगे लहज़ारियश सोफे पर एक कपल बैठा था । सोफे पर बैठा आदमी जिसकी लभभग उम्र 50 साल होगी । वो थोड़ा चिंतित लग रहे थे । और उसकी बगल में बैठी औरत जिसकी उम्र 46 साल होगी उसके चेहरे पर भी परेशानी के भाव झलक रहे थे । ये कपल थे अमरजीत राजपुत और उसकी पत्नी गौरी राजपूत थी ।
और इसकी दूसरी तरफ एक और औरत बैठी थी और ये थी अमरजीत राजपुत की बहन स्नेहलता रजावत । रजावत खानदान भी राजस्थान के अमीर घराने में शामिल था । और स्नेहलता रजावत , … रजावत खानदान की दूसरी बहु थी । और उसके भाई के एक लौटे बेटे की शादी में आई थी ।जो उसे बिल्कुल पसंद नहीं थी । क्योंकि उसका भाई अमरजीत राजपुत ने उसके एक लौटे बेटे की शादी बनारस में रहने वाले उसके मित्र आनंद पुरोहित की बेटी श्री से तय की थी ।जो एक मिडल क्लास फैमिली से थी । और यही बात स्नेहलेता कि खटक रही थी ।क्योंकि वो अश्क का रिश्ता अपने जेठ की बेटी अमायरा राजावत से करना चाहती थी ।जो फिलहाल लंदन में फ़ैशन डिज़ाइनर की पढ़ाई कर रही थी । अगर अमायरा की शादी अश्क से हो जाती है तो स्नेहलता की पकड़ दोनो परिवार पर बनी रहती ।यही सोच कर वो अमरजीत पर प्रेशर डाल ना चाहती थी । पर अफ़सोस उसकी सोचा यहां कुछ काम नहीं आई थी क्योंकि अमरजीत राजपुत ने पहले ही अश्क का रिश्ता श्री से तय कर दिया था ।
पर अभी कि परेशानी की बात ये थी कि अश्क अब ये शादी करना नहीं चाहता था । क्योंकि उसे अब लगने लगा था । श्री उसके लायक नहीं है और यहां अमरजीत राजपुत और आनंद पुरोहित ने शादी की तारीख फिक्स कर दी थी और साथ में शादी के कार्ड भी सभी रिश्तेदार , और उसके सभी बिजनेश पार्टनर में बट चुके थे । तो अब शादी केंशल नहीं की जा सकती थी ।
गौरी राजपूत ने अमरजीत राजपुत के कंधे पर हाथ रख कर परेशान भरे लफ्जों में कहा।_" सुनिए ! क्या इस बार हमारा बेटा मानेगा । आप तो जानते हो ना उसे यहां से गए हुए 10 साल बीत चुके है । तब से उसने कभी यहां मुड़कर नहीं देखा है । पहले की बात और थी ।पर अब उसका स्वभाव बिल्कुल चेंज हो चुका है । वो एक सख्त मिजाजी हो चुका है । तो क्या वो अब शादी के लिए ……वो बोलते बोलते रुक गई ।
अमरजीत ने अपना सर घुमा कर गौरी को देखा … गोरी ने एक गहरी सांसे भरी और कुछ पल रुक कर बोली _" कही हम जल्द बाजी तो नहीं कर रहे है । कही हम श्री के साथ कुछ गलत……
गौरी की बात पूरी हो पाती उसे पहले ही अमरजीत राजपुत बोले _" हम कोई जल्द बाजी नहीं कर रहे हैं गौरी । ये फैसला खुद हमारे बेटे अश्क का था । उसकी पढ़ाई खत्म होने के बाद वो श्री से शादी करेगा । "
गौरी उसे देख कर बोली _"जानते हैं ,ये उसका फैसला था । मगर तब की बात में और अभ की बात में बहुत फर्क आ चुका है । हमारा बेटा बिल्कुल बदल चुका है । अब उसे शादी जैसे रिश्ते में बंध कर नहीं रहना है । आप तो जानते है , उसने पहले ही हमारे मुंह पर इस शादी के लिए मना कर चुका है ! उसे अब सिर्फ और सिर्फ़ बिजनेस करना है । और कुछ नहीं …… ऐसे में अगर उसने कुछ कर दिया तो ……गौरी राजपूत और परेशान हो गई थी ।
अमरजीत जी बोले _ " हा जानते है वो शादी क्यों नहीं करना चाहता है। पर हम हमारे दोस्त को जुबान दे चुके है । और वैसे भी पढ़ाई के साथ साथ वो बिजनेस भी तो संभाल रहा है । मैने सारा बिजनेस उसी के हाथ में ही तो दे रखा है । क्योंकि वो चाहता था , वो पढ़ाई के साथ साथ बिजनेश भी संभालेगा । तो मेने वो किया । लेकिन अब उसे मेरी ये बात माननी पड़ेगी । उसी ने जिद की थी कि उसे श्री से शादी करनी है। और उसकी जिद की वजह से ही हमने उसका और श्री का रिश्ता तय किया था । तो अब वो एंड मौके पर मना नहीं कर सकता हैं ! उसे श्री से शादी करनी होगी ।!"अमरजीत की आवाज सख्त हो चुकी थी ।
अमरजीत राजपुत की बात सुन कर उसकी बहन स्नेहलता जो कब से बैठे बैठे अपने भाई और भाभी की बात सुन रही थी , वो अपना मुंह चढ़ाके बोली _" भाई सा! अश्क सही तो कह रहा है । उसकी अब उम्र की क्या है । उसने अभी तो पढ़ाई खत्म की है । उसे थोड़ा घूमने फिरने दो , थोड़ा दुनिया दारी समझने दो । फिर आराम से उसकी शादी कर देना ।! अब मेरे समर्थ को ही देख लो । वो भी तो लंदन में पढ़ाई कर रहा है । और मैंने तो सोच लिया है । जबतक समर्थ खुद शादी के लिए हा नहीं कहेगा तब तक में उसे कभी उसपर शादी का दबाव नहीं डालूंगी।"
अमरजीत ने स्नेहलता से कहा।" लेकिन स्नेहलता तुम जानती हो ना इस शादी का फैसला खुद उसका था तो अब वो मना नहीं कर सकता है। एंड मौके पर वो शादी से इनकार करता है तो हम आनंद को क्या जवाब देंगे!"
स्नेहलता ने मुंह बना कर कहा _ " हा भाई सा हम मानते है । ये फैसला खुद अश्क का था । आप ये भी तो सोचिए । जब अश्क ने ये शादी का फैसला लिया था तब वो महज 12 साल का एक छोटा सा बच्चा था । उसे कहा दुनियादारी की खबर थी । उसने उस लड़की के साथ घर घर खेला , और गुड्डा गुड़ियों की शादी करी उस खेल को ही वो असली शादी मान बैठा । लेकिन अब वो बड़ा हो गया है । उसने अब अच्छे बुरे की समझ आने लगी है । उसे समझ आ चुका है । उसकी फैमिली और हमारी फैमिली में अब जमीन आसमान का फर्क है । ऐसे में वो एक मिडल क्लास और उस गवार बहनजी से शादी थोड़ी ना करेगा । उसे समझ आ चुका है ।की रिश्ता अपने बराबरी वालों में करना चाहिए ना कि ऐसे किसी राह चलते भिखारियों के साथ।…!"
स्नेहलता अपनी बात पूरी कर पता उसे पहले ही अमरजीत राजपुत गुस्से में चिल्ला उठे।_ " स्नेहलता जुबान को लगाम दो । तुम जिसके बारे में बात कर रही हो वो मेरा जिगरी यार है । जिसके खिलाफ में एक लब्ज़ सुनना नहीं चाहता हूं समझी !"
स्नेहलता भी कहा कम थी , वो फिर से बोली _" भाई सा…… मेने कुछ गलत नहीं कहा । वो सच है , वही मैने कहा है, पर आपकी ये सच्चाई नहीं दिख रही है ।पर अश्क को ये अच्छे से दिख रहा है । इसीलिए वो इस शादी से इनकार कर रहा है । फिर भी आपको मेरी बात बुरी लगी तो माफ करना !" ये कहते ही स्नेहलता अपना मुंह बना लिया !"
गौरी राजपूत जल्दी से अमरजीत राजपुत के कंधे पर हाथ रख कर उसे समझते हुए बोली _ " क्या कर रहे है आप । शांत हो जाए । ऐसे गुस्सा करने से कुछ नहीं होगा । ऐसे आप गुस्सा करेंगे तो बात और बिगड़ जाएगी !"
अमरजीत ने भरी आवाज में कहा _" कैसे शांत हो जाऊं गौरी ! शादी कोई बच्चों का खेल नहीं है ।की खेला और खत्म हो गया। अश्क को समझना पड़ेगा । उसकी एक ना से किसी की घर की इज़्ज़त नीलम हो जाएगी । और ऊपर से श्री हर्ट होगी ,वो अलग । वो टूट कर बिखर जाएगी । तुम तो जानती हो ना वो अश्क को कितना प्यार करती है । अरे उसकी आखों में अश्क के लिए निस्वार्थ प्यार साफ साफ़ दिखाई देता है । ऐसे में अगर अश्क उसे शादी के लिए मना करेगा ।तो सोच वो किस कदर टूट जाएंगी…..!" ये बोलते वक्त अमरजीत राजपुत के चेहरे पर परेशानी के भाव साफ साफ़ झलक रहे थे ।
गौरी ने शांत भाव से कहा _ " मानते है आप जो कह रहे है वो सच है पर ये बात अश्क को भी तो समझनी होगी !
स्नेहलता बीच में बोल पड़ी _" भाई सा…. बुरा मत मानिए । पर अश्क अपनी जगह पर सही है । पहले उसने शादी के लिए हा की … , पर अब अश्क बाहर पढ़ाई कर रहा था । साथ में आपका पूरा बिजनेस भी संभाल रहा है । ऐसे में वो कैसी बड़े बड़े बिजनेसमैन से मिला है । उस लोगो के बच्चों से मिला है । ऐसी हाय प्रोफ़ाइल फैमिली की लड़कियों से मिला है । उसने वहां का रहन सहन देखा है । वहां की बेड़े घर की लड़कियां कैसे रहती है वो देखा है ।ऐसे में वो अगर बनारस में रहने वाली श्री से शादी करता है तो उसकी इजाजत क्या रह जाएगी । क्योंकि उसे खुद पता है । बनारस में रहने वाली , 24 घंटे सलवार सूट में रहने वाली श्री कैसी होगी । अपने संस्कार और उसूलों में चलते कभी वो लड़की अश्क की लाइफ में एक्जास्ट नहीं कर पाएगी और ये बात अश्क जान भी चुका है और अच्छे से समझ भी चुका है । इसी लिए वो शादी से पहले ही इनकार कर रहा है !"
अमरजीत राजपुत ने कठोर आवाज में कहा _ " जो भी हो स्नेहलता ! पर अब हम यहां तक आकर पीछे नहीं हट सकते है । अश्क को ये शादी करनी ही होगी । चाहे इसने उसकी मर्जी शामिल हो या फिर ना हो ।और मुझे ये अच्छे से पता है ये सब कैसे करना है !"
ये कहते ही अमरजीत गुस्से ने अपने कमरे में चले गए । गौरी ने एक नजर स्नेहलता को देखा और अपना सर झुका कर वो भी कमरे में चली गई ।
उन दोनों के जाते ही स्नेलता ने गुस्से में अपनी मुट्ठी भींच ली ।उसने खुद से ही कहा _" चाहे कुछ भी हो जाए भाई सा । उस फटीचर को में अश्क की लाइफ़ में कभी आने नहीं दूंगी। मेरे उतने साल की मेहनत पर पानी नहीं फेरने दूंगी। उतने साल की मेने जिस मकसद को अंजाम देने के लिए अश्क को यहां आने से रोक रखा है । उस पर में इतनी आसानी से पानी फेरने नहीं दूंगी । और रही बात शादी तो अथर्व शादी करेगा , लेकिन मेरी मर्जी से !*
ये कहते वक्त स्नेहलता के चेहरे पर शैतानी मुस्कुराहट छा गई थी।
वही दूसरी तरफ…...
अमरजीत और गौरी दोनो अपने कमरे थे । दोनों के चेहरे पर परेशानी के भाव उभर चुके थे।
गौरी अमरजीत को देखते हुए बोली _" अब आप क्या करेंगे !"
अमरजीत कुच पल गौरी को देखते रहे। फिर एक गहरी सांसे भरी और बोले _" गौरी अब अश्क को यहां बुलाने का और इस शादी को करने का अब एक ही रास्ता है और वो रास्ता तुम खुद भी जानती हो !"
गौरी समझ चुकी थी , अमर जीत क्या कहना चाहता है ।
गौरी परेशान होकर बोली _" जानते है , पर मुझे ये सही नहीं लग रहा है । पता नहीं क्यों मेरा मन घबरा रहा है , ऐसा लग रहा है जैसे कोई अनर्थ होने वाला हो । सुनिए …! क्या आपके पास इसके अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है !"
अमरजीत जी ने लाचारी से अपना सर ना में हिला दिया । ये देख गौरी के चेहरे पर भी मायूसी छा गई ।
अमरजीत ने एक गहरी सांसे भरी और अपना फोन निकाला और किसी को कॉल कर दिया।!
इटली में ,
इटली के पॉश इलाके में एक खूबसूरत बड़ा बंगलों …जो दिखने में किसी पैलेस से कम नहीं था । जिसपर बड़ी ही खूबसूरत डिजाइन से लिखा था । राजपूत पैलेस……
उसकी सजावट उसकी बनावट देख कर ही पता चल रहा था उसे बनाने वाले ने उस बंगलो में कितने पैसे लगाए होंगे।
उस पैलेस के हॉल में म्यूजिक जोरों - शोरों से बज रहा था । शायद कोई इंग्लिश सॉन्ग्स था । और उस गाने पर 5- 6 लड़के और लड़कियां नशें में टली हो चिपक - चिपक कर डांस कर रहे थे। और सबके सामने ही अपनी गंदी गंदी हरक़त कर रहे थे । वो सारे लड़के - लड़कियां अंग्रेज थे । उसे देख कर ही पता चल रहा था ।वो रईस बाप की बिगड़ी हुई औलाद है । जिसे सिर्फ और सिर्फ अपने बाप के पैसे उड़ाना जानते है ।
वही हॉल के कौने में बने एक छोटे से मिनी बार के काउंटर पर एक 22 साल का लड़का बैठा था । काले घने बाल, परफैक्ट नैननक्श , परफेक्ट फेस कट आउट , मस्कुलर बॉडी । कुल मिला कर वो लड़का दिखने में हैंडसम था । उसे देख कर ही लग रहा था , वो लड़का इंडियन है ।
जो अपने हाथ में विस्की का ग्लास लिए , हॉल में डांस कर रहे उन फौरनर लड़कों को देख रहा था । उसे उन लड़क लड़कियों के साथ में जाने में कोई इंट्रेस नहीं था । इस लिए वो कोने में बने काउंटर पर बैठा था । पर उसकी वो काली गहरी आंखे ना चाहते हुए भी उसी पैलेस के फस्ट फ्लोर पर बने एक कमरे की और चली जा रही थी । , जो उस पैलेस का मास्टर बेड रूम था । और इस वक्त उस कमरे का दरवाज़ा थोड़ा सा खुला हुआ था ।बस इतना की उस कमरे में अगर कोई बात कर रहा हो तो उसकी आवाजें आराम से सुन सकते थे।
तभी उस कमरे एक किसी लड़की की तेज़ सिसकियों की आवाज गूंज उठी । हॉल में लाउड म्यूज़िक चल रहा था , इस लिए नशे में टल्ली होकर झूम रहे उन लड़के लड़कियों को तो सुनाई नहीं दिया ।पर वो लड़का एक कौने में बैठा था । इस लिए उसे ये आवाज़ अच्छे से सुनाई दे रही थी ।
उसे देखते हुए उस लड़के ने सर ना में हिला दिया । जैसे उसे पता हो उस कमरे में क्या चल रहा है। और ये किस चीज की आवाज़ है उस लड़के के चेहरे पर छोटी सी मुस्कान खिल उठी। ये था मोक्ष अग्रवाल , अश्क का जिगरी दोस्त ।
तभी अचानक मोक्ष का फोन रिंग हुआ । कॉलर ID पर जो नाम फ्लैश हो रहा था । उसे देखते ही मोक्ष के चेहरे के भाव तुरंत बदल गए। उसने तुरंत उस कमरे की और देखा ।
To be continued…….
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